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तीन साल में 4400% बढ़े फैंटेसी स्पोर्ट्स के दीवाने; गेमिंग और गैंबलिंग के बीच भारत में क्या होगा इसका भविष्य? https://ift.tt/35iWjhB

24 सितंबर 2007 का दिन। पहले आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला चल रहा था। पाकिस्तान को जीत के लिए 4 गेंद में 6 रन की दरकार थी और आखिरी जोड़ी क्रीज पर थी। जोगिंदर शर्मा ने गेंद फेंकी, मिस्बाह ने बल्ला चलाया और श्रीसंत ने कैच लपक लिया। इसी के साथ धोनी के धुरंधरों ने खिताब अपने नाम कर लिया।

उस दौर में टी-20 फॉर्मेट को लेकर क्रिकेट फैन्स की दीवानगी बढ़ती जा रही थी। 2008 में इंडियन प्रीमियर लीग यानी IPL की शुरुआत हुई। मौके की नजाकत को समझते हुए भवित सेठ और हर्ष जैन ने 2008 में फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म Dream11 लॉन्च कर दिया।

फैंटेसी स्पोर्ट्स में यूजर्स मोबाइल ऐप या वेबसाइट पर अपनी वर्चुअल टीम बनाता है और प्वॉइंट्स कमाता है। प्वॉइंट्स के हिसाब से यूजर्स की कमाई भी होती है। कई ऐप्स मुफ्त में खेलने का मौका देते हैं और कई ऐप्स इसके लिए पैसे लेते हैं। आज भारत में 140 से ज्यादा फैंटेसी प्लेटफॉर्म मौजूद हैं। 2016 के बाद तो फैंटेसी स्पोर्ट्स सेगमेंट ने सफलता की नई मिसाल कायम की है, जो किसी का भी ध्यान अपनी तरफ खींच सकती है।

3 साल में 20 लाख से 9 करोड़ पार हो गए यूजर्स

  • फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स यानी FIFS और KPMG की रिपोर्ट के मुताबिक, फैंटेसी स्पोर्ट्स के 2016 में महज 20 लाख यूजर थे। 3 साल में 4400% की अभूतपूर्व बढ़ोतरी के साथ 2019 तक यूजर्स का आंकड़ा 9 करोड़ पार कर गया है।

  • 2016 में इसे खेलने वालों ने 350 करोड़ रुपए कमाए थे। 2019-20 में यूजर्स की कमाई का आंकड़ा 40 गुना बढ़कर 14 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया।

  • 2016 में फैंटेसी स्पोर्ट्स ऑपरेटर्स की संख्या सिर्फ 10 थी जो 2019 तक 14 गुना बढ़कर 140 से ज्यादा हो गई।

  • सालाना 32% के कंपाउंड रेट से बढ़ने का अनुमान है। 2024 तक इसका बाजार 27 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।

फैंटेसी प्लेटफॉर्म पर 77% क्रिकेट के दीवाने

  • ICC की एक स्टडी के मुताबिक, दुनिया भर में 100 करोड़ से ज्यादा क्रिकेट फैन हैं। इनमें से 90% तो सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप में ही मौजूद हैं। इसलिए फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म पर क्रिकेट का वर्चस्व कोई हैरानी की बात नहीं है। हाथ में स्मार्टफोन, सस्ता डेटा और क्रिकेट की चाहत उन्हें फैंटेसी प्लेटफॉर्म तक खींच लाई है।
  • FIFS-KPMG ने इस साल की शुरुआत में एक सर्वे कराया था। उसमें 77 प्रतिशत लोगों ने माना की वो क्रिकेट के लिए फैंटेसी प्लेटफॉर्म पर आए थे। फुटबाल 47% और कबड्डी 9% लोगों के साथ दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे।
  • BARC Nielsen के मुताबिक, IPL 2020 को 2019 के मुकाबले 28% ज्यादा लोगों ने देखा। इस साल IPL का टाइटल स्पॉन्सर भी Dream11 था इसलिए फैंटेसी स्पोर्ट्स की तरफ लोगों का ध्यान ज्यादा गया।

11 Wickets के संस्थापक सूरज चोकानी का मानना है कि फैंटेसी स्पोर्ट्स का दिल क्रिकेट है। लेकिन, अन्य खेलों की तरफ भी भारतीय यूजर्स का रुझान बढ़ रहा है, जिससे फैंटेसी स्पोर्ट्स में फुटबॉल, बास्केटबाल और कबड्डी का उभरना तय है।

फैंटेसी स्पोर्ट्स की फिलहाल बड़ी समस्या ये है कि क्रिकेट इवेंट के दौरान तो इनकी बल्ले-बल्ले होती है, लेकिन ऑफ सीजन में यूजर्स की भारी कमी होती है। अब फैंटेसी स्पोर्ट्स इंडस्ट्री प्रो कबड्डी लीग, इंडियन सुपर लीग, हॉकी इंडिया लीग, सुपर बॉक्सिंग लीग, प्रीमियर बैडमिंटन लीग वगैरह पर भी फोकस कर रही है, जिससे पूरे साल यूजर्स का फ्लो बना रहे।

फैंटेसी स्पोर्ट्स: गेमिंग या गैंबलिंग

भारत में फैंटेसी स्पोर्ट्स जितने लुभावने लगते हैं, उतने ही विवादित भी। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, ओडिशा, असम, नागालैंड और सिक्किम राज्यों में फैंटेसी स्पोर्ट्स पर प्रतिबंध लगा है। इन राज्यों का मानना है कि ऑनलाइन गेमिंग की आड़ में जुए का चलन बढ़ रहा है। तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट में बताया कि राज्य में फैंटेसी स्पोर्ट्स में हारने के बाद सुसाइड के 30 मामले सामने आ चुके हैं।

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन सायबर क्राइम एंड सायबर लॉ के चेयरमैन अनुज अग्रवाल तो यहां तक कहते हैं कि इनमें से कई फैंटेसी प्लेटफॉर्म मनी लॉन्ड्रिंग में भी शामिल हो सकते हैं। कौन-सा यूजर्स कितना जीत रहा है, इस पर नजर ना होने की वजह से मनी लॉन्ड्रिंग भी की जा सकती है।

मद्रास हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ऐसे प्लेटफॉर्म्स की पब्लिसिटी करने वाले सेलिब्रिटीज को नोटिस जारी किया है। इन पर लॉटरी का प्रचार करने का आरोप लगाया गया है। इसमें एमएस धोनी, विराट कोहली और सौरभ गांगुली जैसे खिलाड़ी भी शामिल हैं।

फ्रीमियम ऐसा बिजनेस मॉडल है, जिसमें बेसिक सर्विस फ्री है, लेकिन अधिक फीचर्स के लिए पैसे देने पड़ते हैं।

भारत में फैंटेसी स्पोर्ट्स का भविष्य

लीगल एक्सपर्ट विराग गुप्ता बताते हैं कि फैंटेसी स्पोर्ट्स को लेकर देश में अभी कोई अलग कानून नहीं है। फैंटेसी स्पोर्ट्स के समर्थक कहते हैं कि ये विशेषज्ञता का खेल है, इसलिए इसे सट्टेबाजी और जुए से अलग माना जाए, लेकिन इसके विरोधी इसे डिजिटल सट्टेबाजी का ही एक जरिया मानते हैं। नीति आयोग ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि फैंटेसी स्पोर्ट्स पर बैन लगाना समाधान नहीं है। आयोग के मुताबिक, इन प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाने से तेजी से बढ़ते इस सेक्टर में इनोवेशन रुक जाएगा।

नीति आयोग ने अनुमान लगाया है कि आने वाले सालों में इस सेक्टर में 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा FDI आ सकता है। साथ ही ये इंडस्ट्री 2023 तक 150 करोड़ का ऑनलाइन ट्रांजैक्शन कर सकती है। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे देश में फैंटेसी स्पोर्ट्स को लेकर एक कानून होना चाहिए। कुछ राज्यों में जो कानूनी चुनौतियां हैं, उन्हें भी दूर किया जाना चाहिए। हालांकि, यहां ये सवाल लाजिमी है कि क्या फैंटेसी प्लेटफॉर्म से जुड़े तमाम विवादों को दरकिनार कर पूरे देश में एक कानून बनाया जा सकता है?



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