दुनिया में मौतों का आंकड़ा 2 लाख पार हुआ तो रात भर सो नहीं सके बंगाल के चिरंजीत, अगले ही दिन खुद पर ट्रायल का फैसला लिया https://ift.tt/3lRRJgN
26 अप्रैल 2020, उस दिन दुनिया में कोरोना मरीजों की मौत का आंकड़ा 2 लाख को पार गया था। सिर्फ 16 दिन में मरने वालों का आंकड़ा दोगुना हुआ था और भारत में उस दिन 45 लोगों की जान गई थी। मौत के इन आंकड़ों ने पश्चिम बंगाल के स्कूल टीचर चिरंजीत धीबर के मन में उथल-पुथल मचा दी।
30 साल का यह शिक्षक उन दिनों कोलकाता से करीब 200 किमी दूर अपने कस्बे दुर्गापुर में लॉकडाउन में फंसे 14,000 लोगों के खाने और रहने के इंतजाम के लिए जी-जान से मदद में जुटा था। लेकिन मौतों के आंकड़े ने उस रात उन्हें नींद नहीं आने दी। अगले दिन कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के बारे में खबर देखी। उन्हें लगा कि वैक्सीन ही मौतों को रोक सकती है, तो मैं इसमें मदद करूंगा।
पहले माता- पिता को मनाया फिर खुद पर कराया ट्रायल
उन्होंने उसी दिन 27 अप्रैल को आईसीएमआर में वैक्सीन का मानव परीक्षण खुद पर किए जाने के लिए आवेदन कर दिया। हालांकि यह फैसला उनके लिए जितना आसान था, उनके मां और बाबा के लिए उतना ही डरावना और जोखिम भरा था। इसलिए पहले वे नाराज हुए, लेकिन चिरंजीत ने उन्हें किसी तरह मना लिया। चिरंजीत के पिता तपन कुमार दुर्गापुर स्टील प्लांट में सीनियर टेक्नीशियन हैं और मां प्रतिमा हाउसवाइफ। एक छोटा भाई है, जो कॉलेज में पढ़ रहा है।
तीन चार दिनों में 50 से ज्यादा बॉडी टेस्ट हुए
22 जुलाई को चिरंजीत को ओडिशा के ‘आईएमएस एंड एसयूएम’ अस्पताल के प्रिवेंशन एंड थेराप्यूटिक क्लिनिकल ट्रायल यूनिट की लैब से ट्रायल के लिए मेल मिला। 24 जुलाई को वे लैब पहुंचे। अगले तीन-चार दिनों में उन पर 50 से ज्यादा बॉडी टेस्ट हुए। चिरंजीत का कहना है कि मैं अपने ऊपर यह परीक्षण इसलिए भी करवाना चाहता था कि यह हम युवाओं की ही देश के प्रति ज़िम्मेदारी है कि हम पहल करें।
सरकारी स्कूल में डिजिटल क्लासरूम बनाया
अंग्रेज़ी भाषा में मास्टर्स चिरंजीत कहते हैं कि ‘टीचर की जिंदगी बच्चों को पढ़ाने और बदले में वेतन पाने तक सीमित नहीं है। खासतौर पर प्राइमरी टीचर की। वे बच्चों के जीवन में सबसे अहम भूमिका अदा करते हैं। मैं इस सोच को मन में रखकर ही बच्चों को पढ़ाता हूं। मैं नहीं चाहता कि बच्चे पढ़ाई से ऊबें, इसलिए क्लास में प्रोजेक्टर, कंप्यूटर, ऑडियो-वीडियो सब होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अभी स्कूलों में तो ये सुविधाएं फिलहाल नहीं हैं, इसलिए मैं इसकी कमी अपने ट्राइपॉड और मोबाइल से पूरी करता हूं। हमारे स्कूल ने एक और प्रयोग किया है कि हम मिड-डे मील में पकने वाली सब्जियां भी यहीं उगाते हैं और बच्चे इसमें मदद करते हैं। स्कूल में बेहतरीन किचन गार्डन है। मेरी क्लास में गाने, ड्रामा, ड्राइंग, खेल सब हाेता है।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3hZL8i4
No comments