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हम एक ऐसा इनोवेटिव, तकनीक आधारित लर्निंग इकोसिस्टम बनाएं जो छात्रों की सभी बाधाओं को दूर करे और उनका सीखना जारी रहे https://ift.tt/3goS1bP

भारत अपने युवाओं से ही मजबूत है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि हमारे देश की उन्नति, हमारी युवा आबादी के हाथों में ही है। वे वह संगठित शक्ति हैं जो समाज की दिशा तय कर सकती हैं। वे आत्मविश्वास से भरी वह आवाज हैं जो ऐसे बड़े बदलाव ला सकती हैं जिनका असर हमारे समाज पर हमेशा रहेगा। अगर हम वाकई में भारत की क्षमता का पूरा लाभ लेना चाहते हैं तो युवाओं का विकास ही हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।

भारत में अभी दुनिया की सबसे बड़ी स्कूल जाने वाली आबादी है और कुल मिलाकर 50 फीसदी से ज्यादा भारतीय 25 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र के हैं। यानी आर्थिक और सामाजिक विकास के पथ पर युवा और महत्वाकांक्षी वर्कफोर्स को ही ड्राइवर की सीट पर बैठाना होगा। हालांकि युवा आबादी का पूरा लाभ उठाना आसान नहीं है।

हमारे युवा देश के विकास में हमारे लिए मूल्यवान साबित हों, इसके लिए हमें उन्हें सही साधन देने की जरूरत है, जो उनकी क्षमता का पूरी तरह से दोहन कर सकें। दूसरे शब्दों में हमें उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से तैयार करना होगा। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के बिना हमारी बड़ी युवा आबादी जल्दी ही अर्थव्यवस्था के लिए बोझ बन जाएगी, लेकिन सीखने के सही अवसरों के साथ वे अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल कर सशक्त हो सकते हैँ।

‘लर्निंग’ की उन्नति और अवसरों में इतनी महत्वपूर्ण भूमिका होने के बावजूद, भारत के और दुनियाभर के शिक्षा तंत्रों में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आए हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों तक पहुंच, पर्सनलाइज्ड लर्निंग, परीक्षाओं का डर और रटकर सीखने का तरीका। ये कुछ ऐसी चुनौतियां हैं, जो अब भी बनी हुई हैं।

इनसे छात्रों में कंसेप्ट की समझ कमजोर हो रही है, जहां वे जो सीख रहे हैं, उसके पीछे का तर्क उन्हें समझ नहीं आता। न सिर्फ इससे उनकी क्षमता सीमित हो रही है, बल्कि कार्यस्थलों में पहुंचने पर लॉजिकल रीजनिंग और विवेचनात्मक सोच का इस्तेमाल करना भी उनके लिए मुश्किल हो रहा है। इसके अलावा आकंड़े भी बताते हैं कि हम गंभीर समस्या में उलझे हैं।

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक प्राइमरी स्कूल में प्रवेश लेने वाले 65% बच्चे भविष्य में खुद को ऐसी नौकरियों में पाएंगे जो अभी हैं ही नहीं। हमारे युवाओं के हुनर के साथ न्याय करने के लिए हमें मौजूदा स्कूल सिस्टम्स का इस्तेमाल कर और असरदार लर्निंग तक उनकी पहुंच बनाकर, उन्हें कल की नौकरियों के लिए तैयार करना होगा।

हमारे युवाओं को ऐसे अवसर देने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि हम एक ऐसा इनोवेटिव, तकनीक आधारित लर्निंग इकोसिस्टम बनाएं जो छात्रों की सभी बाधाओं को दूर करे और उनका सीखना जारी रहे।वास्तव में तकनीक आधारित लर्निंग आज और ज्यादा प्रासंगिक हो गई है क्योंकि स्क्रीन्स उपभोग का प्रमुख माध्यम बन गई हैं।

रिसर्च बताते हैं कि 5 से 16 वर्ष की उम्रवर्ग के बच्चे अब डिजिटल युग के निवासी हैं और स्क्रीन्स से बहुत आसानी से सीख लेते हैं। यही कारण है कि लर्निंग एप्स तेजी से बढ़ रही हैं। मौजूदा महामारी से भी माता-पिता और शिक्षकों की सोच में ऑनलाइन लर्निंग को लेकर काफी बदलाव आया है। इससे अब ऑनलाइन लर्निंग को तेजी से अपनाया जा रहा है।

मुझे लगता है कि सोच में यह बदलाव आगे भी जारी रहेगा और इससे ऑनलाइन लर्निंग और ज्यादा विकसित होगी। यह स्वागतयोग्य बदलाव है क्योंकि गुणवत्तापूर्ण ऑनलाइन लर्निंग अनुभव भौतिक सीमाओं से परे जा सकती है और देश के हर हिस्से के छात्रों को समान स्तर की शिक्षा प्रदान कर सकती है।

अब हर रोज कम होते डिजिटल अंतर को देखते हुए, लर्निंग के इस स्वरूप में हर छात्र की महत्वाकांक्षा पूरी करने की क्षमता है, फिर वह किसी भी पृष्ठभूमि का हो या कहीं भी रहता हो। छात्र न केवल घर बैठे सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों से पढ़ पाएंगे, बल्कि अपनी पंसद की भाषा, शैली और गति से सीख पाएंगे।

शिक्षा की शक्ति हमारे देश को बदल सकती है। लर्निंग के लोकतंत्रिकरण से ही यह बदलाव आ सकता है। हम चाहते हैं कि छात्र सशक्त हों और सपने देखने के लिए प्रोत्साहित हों क्योंकि हम मानते हैं सही साधन के साथ कुछ भी असंभव नहीं है। हमारे लिए, सफल होने का मतलब अरबों डॉलर की कंपनी बनाना नहीं है, बल्कि हमारे लिए अरबों विचारक और सीखने वाले बनाना ही सफलता है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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लर्निंग एप Byju’s के संस्थापक और सीईओ


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