कोलकाता में मछली मार्केट पर नहीं है कोरोना का असर; लाॅकडाउन में भी खूब बिकी मछली, सब्जी से ज्यादा रही डिमांड, रोजाना 8,000 करोड़ रुपए का है कारोबार https://ift.tt/3f2iwlI
बंगाल और मछली का कनेक्शन कितना मजबूत है इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि कोरोनावायरस और लॉकडाउन में भी इस पर कोई असर नहीं पड़ा है। कोरोना महामारी की शुरूआत में सी फूड को लेकर लोगों में भय था। उस वक्त भी कोलकाता मार्केट में मछलियों की डिमांड थी। रोजाना 8,000 करोड़ रुपए का कारोबार करने वाले फिश मार्केट पर कोरोनावायरस का कोई असर नहीं पड़ा है, क्योंकि लॉकडाउन में भी बिक्री पहले की तरह रही है।
सालाना 19 लाख मैट्रिक टन मछली की होती है खपत
पश्चिम बंगाल सरकार के मार्केटिंग कमिटी के टास्क फोर्स मेंबर रवीन्द्र चंद कोले ने मनी भास्कर से बातचीत में बताया कि बंगाल में सालाना 19 लाख मैट्रिक टन मछली आती होती है। सभी तरह की मछलियों की मांग साल भर रहती है। इस साल लॉकडाउन के बावजूद बिक्री में कोई कमी नहीं है। हर साल की तरह इस साल भी अच्छी बिक्री चल रही है।
आंध्र प्रदेश और ओडिशा से आती है मछली
कोले ने बताया कि कोलकाता में हर साल आंध्र प्रदेश और ओडिशा से मछली आती है। इसमें आंध्र प्रदेश से 18 लाख मैट्रिक टन तो ओडिशा से 1 लाख मैट्रिक टन मछली आती है। बंगाल में बड़ी-छोटी और हाट मिलाकर कुल 10,000 दुकानें हैं। इनमें 400 मार्केट कोलकाता नगर निगम के अंतर्गत आती हैं।
इस साल मछली का उत्पादन अच्छा रहा है। इस वजह से कीमत में ज्यादा उछाल नहीं देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की जल संरक्षण के लिए महत्वाकांक्षी परियोजना 'जल धरो, जल भरो' के तहत अब तक 1 लाख तालाब खोदा गया है इससे भी इस साल फिश प्रोडक्शन में इजाफा हुआ है
पिछले साल के मुकाबले सिर्फ 5-7 फीसदी कमी रही
25 मार्च से 15 जून यानी लॉकडाउन के दौरान 75-80 फीसदी सेल हुई है। वहीं, सब्जी की सेल 50 फीसदी ही रही। ऐसे में मछली की सेल में कोरोना और लॉकडाउन का भी असर नहीं दिखा है। हालांकि, पिछले साल मार्च माह के मुकाबले इस साल मार्च में मार्केट बंद होने के कारण बिक्री में 5-7 प्रतिशत की कमी आई थी लेकिन अप्रैल मध्य तक रिकवरी हो गई।
कोलकाता के एक मछली कारोबारी मिंटू साव ने बताया कि मई और जून तक 100 फीसदी बिक्री हुई है। पिछले साल के मुकाबले इस साल 30 फीसदी दाम कम है। इस साल उत्पादन और आपूर्ति में कहीं कोई कमी नहीं है। इस समय लोग सबसे ज्यादा रोहू और कतला मछली खा रहे हैं क्योंकि ग्राहकों के बीच रोहू और कतला मछली की अच्छी-खासी डिमांड है।
2019 में कुल 60,881 करोड़ रुपए की मछलियां बिकी थीं
मरीन फिश पर आधारित कीमतों की बात करें तो 2019 में कुल 60,881 करोड़ रुपए की मछलियां बिकी थीं। यह 2018 की तुलना में 15.6 प्रतिशत ज्यादा थी। यह 170 रुपए प्रति किलो के हिसाब से एवरेज था। हालांकि, रिटेल में मछलियों की कुल वैल्यू 92,356 करोड़ रुपए रही है।
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